Lucknow

 

मिलता नहीं है कोई भी हमशाने लखनऊ

मिलता नहीं है कोई भी हमशाने लखनऊ।
खुशियाँ लुटा रहा है गुलिस्ताने लखनऊ।।
जिस से ज़माना देखे इसे एहतेराम से ।
वो सारे काम कर गए शाहाने लखनऊ।।
हर सू इमामबाड़े हैं और रुमी गेट भी ।
ये सब बने हुए हैं निगहबाने लखनऊ ।।
तहज़ीबे हिन्द इतनी बलन्दी पा ले गए ।
आते हैं याद अब भी ज़बांदाने लखनऊ।।
होली, दिवाली, ईद मनाते हैं साथ-साथ ।
खुशियों से है भरा हुआ दामाने लखनऊ।।
भारत में फूल अम्नो अमां के खिले रहें ।
बेताब बस यही तो है अरमाने लखनऊ ।।

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